50+ Best Moral Stories in Hindi for Class 5 | बच्चों के लिए प्रेरणादायक नैतिक कहानियाँ

आज के समय में बच्चों को नैतिक मूल्यों से परिचित कराना बहुत ज़रूरी है। Moral Stories in Hindi for Class 5 बच्चों को सही और गलत में अंतर करना सिखाती हैं। ये कहानियाँ ईमानदारी, मेहनत, दोस्ती और आत्मविश्वास जैसी महत्वपूर्ण शिक्षाएँ देती हैं।


इस लेख में हम आपके लिए 30 बेहतरीन नैतिक कहानियाँ लाए हैं, जो सरल और रोचक भाषा में लिखी गई हैं। बच्चों को ये कहानियाँ पसंद आएँगी और वे इनमें छिपे महत्वपूर्ण सबक भी सीखेंगे। तो आइए, पढ़ते हैं ये प्रेरणादायक कहानियाँ।


50+ Moral stories in hindi for class 5

1.सच्ची दोस्ती की पहचान

सच्ची दोस्ती की पहचान

राजू और अजय बचपन के सबसे अच्छे दोस्त थे। वे हर समय साथ रहते, खेलते और एक-दूसरे की मदद करते। लेकिन उनकी दोस्ती की असली परीक्षा तब हुई जब एक दिन वे जंगल में खो गए।

दोनों मस्ती करते हुए जंगल में बहुत अंदर तक चले गए और जब वापसी का रास्ता ढूंढने लगे, तो सूरज ढल चुका था। धीरे-धीरे अंधेरा बढ़ने लगा और ठंड भी। तभी झाड़ियों में हलचल हुई और एक बड़ा जंगली भेड़िया उनकी ओर बढ़ने लगा।

राजू बहुत डर गया और जल्दी से पास के एक पेड़ पर चढ़ गया। लेकिन अजय को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था। उसने हिम्मत से काम लिया और ज़मीन पर लेटकर अपनी सांस रोक ली, जैसे कि वह बेहोश हो गया हो। भेड़िया धीरे-धीरे अजय के पास आया, उसे सूंघा और थोड़ी देर बाद चला गया।

राजू नीचे आया और हँसते हुए बोला, "अरे वाह! भेड़िया तुम्हारे कान में क्या कह रहा था?"

अजय ने गंभीरता से कहा, "उसने कहा कि जो दोस्त मुसीबत में छोड़कर भाग जाए, उसे अपना सच्चा दोस्त कभी मत समझना।"

राजू को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने माफी माँगी। अजय मुस्कुराया और कहा, "सच्ची दोस्ती का मतलब साथ निभाना होता है, न कि सिर्फ खुशियों में साथ रहना।"

सीख:
सच्चा दोस्त वही होता है जो मुश्किल वक्त में भी साथ खड़ा रहे।

2.लालच का नुकसान


रवि नाम का एक गरीब लड़का था, जिसे मिठाइयाँ बहुत पसंद थीं। एक दिन वह बाजार में घूम रहा था, तभी उसे सड़क पर एक सोने का सिक्का पड़ा मिला। वह बहुत खुश हुआ और सोचा, अब मैं खूब सारी मिठाइयाँ खरीद सकता हूँ! लेकिन तभी उसके मन में एक और विचार आया अगर मेरे पास और सिक्के होते, तो मैं और भी ज्यादा चीजें खरीद सकता था!

रवि ने सोने के उस सिक्के को संभाल कर रख लिया और बाजार में आगे बढ़ा। थोड़ी दूर जाकर उसने एक जौहरी की दुकान देखी। जौहरी के पास एक छोटी सी तिजोरी रखी थी, जिसमें कई सोने के सिक्के चमक रहे थे। रवि के मन में लालच आ गया। उसने सोचा, अगर मैं यह सारे सिक्के चुरा लूँ, तो मेरा जीवन बदल सकता है!

रात में जब दुकान बंद हो गई, तो रवि चोरी करने के लिए अंदर घुस गया। लेकिन जैसे ही उसने तिजोरी खोली, अलार्म बज उठा और चौकीदार दौड़ता हुआ आया। डर के मारे रवि भागा, लेकिन वह फिसलकर गिर गया और पकड़ा गया। जब जौहरी ने देखा कि यह वही लड़का है, जिसे उसने कई बार भूखा देखा था, तो उसे दया आ गई।  

जौहरी ने उसे समझाया, "अगर तुम मेहनत करोगे, तो खुद अपने लिए सोने के सिक्के कमा सकते हो। लेकिन लालच तुम्हें गलत रास्ते पर ले जाएगा।" रवि को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने ईमानदारी से जीने की कसम खाई।  

सीख:

लालच हमें गलत रास्ते पर ले जाता है और हमेशा नुकसान ही पहुँचाता है।


3.राजा का सुनहरा स्पर्श

राजा का सुनहरा स्पर्श

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से राज्य में एक महान राजा राज करता था। वह दयालु, समझदार और साहसी था। राजा के राज्य में लोग सुखी और संतुष्ट थे, क्योंकि राजा हमेशा उनके भले के बारे में सोचता था। लेकिन राजा का एक अनोखा गुण था, वह अपनी दरबार में आने वाले हर व्यक्ति को सुनहरा स्पर्श देता था। यह सुनहरा स्पर्श किसी विशेष छड़ी या वस्तु का नहीं था, बल्कि यह उसका आशीर्वाद था, जिसे वह दिल से देता था।

एक दिन, राज्य में एक गरीब किसान आया। वह बहुत ही परेशान था और उसकी आंखों में चिंता थी। उसने राजा से अपने दुखों का बयान किया, “महाराज, मेरे पास जमीन नहीं है और मेरे परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो रहा है। कृपया मेरी मदद करें।” राजा ने उसकी बातें ध्यान से सुनीं और फिर अपने हाथ से उसे आशीर्वाद दिया। उसने कहा, “तुम्हारा साहस और मेहनत तुम्हारी किस्मत बदल सकते हैं, मेरे आशीर्वाद से तुम जरूर सफल होगे।”

राजा का आशीर्वाद मिलते ही किसान को आशा की किरण दिखाई दी। वह अपने घर वापस लौटा और दिन-रात मेहनत करने लगा। कुछ समय बाद उसकी मेहनत रंग लाई। उसने जमीन खरीदी, खेती की और व्यापार में भी सफलता पाई। किसान अब खुश था और राजा के आशीर्वाद को वह कभी नहीं भूल सका।

समय बीतता गया और राज्य में राजा का नाम फैल गया। वह अपनी दरबार में हर किसी को अपना आशीर्वाद देता था, चाहे वह गरीब हो या अमीर। राजा का विश्वास था कि यदि किसी को सच्चे दिल से आशीर्वाद दिया जाए, तो वह व्यक्ति अपने जीवन में कुछ भी प्राप्त कर सकता है।

एक दिन राजा ने अपने मंत्री से कहा, "सुनो, हर किसी के जीवन में सुनहरा स्पर्श देना जरूरी नहीं कि पैसा हो, यह एक आशीर्वाद है जो किसी के दिल से निकले। अगर हम किसी की मदद और उत्साह बढ़ाते हैं, तो उसका जीवन बदल सकता है।"

सीख:
सच्चा आशीर्वाद और मदद कभी भी केवल पैसों या भौतिक वस्तुओं से नहीं होती। यह हमारी दया, समर्थन और उम्मीद की शक्ति से होती है, जो किसी भी व्यक्ति का जीवन बदल सकती है।

4.किसान और उसके आलसी बेटे


किसान और उसके आलसी बेटे

किसी गाँव में एक परिश्रमी किसान रहता था। उसने अपनी पूरी ज़िंदगी खेतों में मेहनत करके बिताई थी। उसकी मेहनत की वजह से उसके पास उपजाऊ ज़मीन और अच्छी संपत्ति थी। लेकिन उसकी सबसे बड़ी चिंता थी उसके तीन बेटे, जो आलसी और गैर-जिम्मेदार थे।

पिता की चिंता

किसान दिन-रात मेहनत करता, लेकिन उसके बेटे आराम करने में ही खुश रहते। वे ना तो खेतों में मदद करते, ना ही कोई और काम करने को तैयार होते। किसान ने कई बार उन्हें समझाने की कोशिश की, पर वे टालमटोल कर देते।

एक चतुर योजना

एक दिन, किसान ने अपने बेटों को बुलाया और कहा, "मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूँ। मुझे नहीं पता कि मैं कब तक जीवित रहूँगा, लेकिन मरने से पहले मैं तुम्हें एक रहस्य बताना चाहता हूँ। हमारे खेतों में एक खजाना गड़ा हुआ है। अगर तुम उसे पाना चाहते हो, तो तुम्हें खेत खोदना होगा।"

बेटों की आँखें चमक उठीं! उन्होंने सोचा कि अब बिना मेहनत के ही वे अमीर बन सकते हैं। अगले ही दिन उन्होंने पूरे जोश के साथ खेत खोदना शुरू कर दिया। दिन-रात मेहनत करके उन्होंने खेत के कोने-कोने में खुदाई की, लेकिन उन्हें कोई खजाना नहीं मिला।

मेहनत का असली फल

वे निराश होकर पिता के पास पहुँचे और बोले, "हमें कहीं भी खजाना नहीं मिला!"

किसान मुस्कुराया और बोला, "बेटा, अब जब तुमने खेत को अच्छे से खोद दिया है, तो अब इसमें फसल बो दो। मेहनत का असली खजाना यही है!"

बेटों ने मजबूरी में फसल बोई। कुछ महीनों बाद जब फसल लहलहाने लगी, तो वे दंग रह गए। इस बार उनकी उपज पहले से कई गुना ज्यादा थी! अब उन्हें समझ आ गया कि असली खजाना उनकी मेहनत और ईमानदारी से की गई खेती ही थी।

सीख:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मेहनत से बढ़कर कोई खजाना नहीं होता। जो व्यक्ति परिश्रम करता है, वही असली सुख और सफलता प्राप्त करता है।

तो, क्या आप भी मेहनत को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाएँगे? 😊🌾

5.चतुर बंदर और मगरमच्छ

एक घने जंगल के बीचों-बीच एक बड़ा और पुराना जामुन का पेड़ था। उस पेड़ पर एक चालाक और समझदार बंदर रहता था। वह हर दिन मीठे-मीठे जामुन खाता और खुशी से झूमता।

बंदर और मगरमच्छ की दोस्ती

उसी जंगल की एक गहरी नदी में एक मगरमच्छ भी रहता था। एक दिन वह थककर पेड़ के नीचे आराम करने लगा। जब बंदर ने उसे देखा, तो उसने दोस्ती का हाथ बढ़ाया और कुछ मीठे जामुन तोड़कर उसे खाने के लिए दिए। मगरमच्छ को जामुन बहुत पसंद आए और वह रोज़ बंदर से मिलने आने लगा। धीरे-धीरे दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई।

मगरमच्छ की पत्नी की लालच
एक दिन मगरमच्छ ने अपनी पत्नी को भी जामुन खिलाए। उन्हें खाकर मगरमच्छ की पत्नी ने सोचा, "अगर ये जामुन इतने मीठे हैं, तो जो इन्हें खाने वाला बंदर होगा, उसका दिल कितना मीठा होगा!" यह सोचकर उसने मगरमच्छ से कहा, "मुझे उस बंदर का दिल खाना है। उसे किसी तरह मेरे पास ले आओ!"

बंदर की चतुराई
मगरमच्छ अपनी पत्नी की बात सुनकर पहले तो दुखी हुआ, लेकिन फिर उसने बंदर को धोखे से बुलाने की योजना बनाई। वह बंदर के पास गया और बोला, "मेरा घर नदी के दूसरी ओर है। मेरी पत्नी ने तुम्हारे लिए स्वादिष्ट भोजन तैयार किया है। चलो, मेरे साथ!"

बंदर थोड़ा सोच में पड़ गया, लेकिन अपने दोस्त की बात मानकर मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। जब वे नदी के बीच पहुंचे, तो मगरमच्छ ने सचाई बताई, "मुझे खेद है, दोस्त! मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है। इसलिए मैं तुम्हें लेकर जा रहा हूँ।"

बंदर डर तो गया, लेकिन उसने अपनी चतुराई से काम लिया और बोला, "अरे मित्र! तुमने पहले क्यों नहीं बताया? मैंने अपना दिल तो जामुन के पेड़ पर ही छोड़ दिया है। चलो, वापस चलते हैं, मैं तुम्हें दिल दे दूँगा!"

धोखेबाज दोस्त को सबक
मगरमच्छ उसकी बातों में आ गया और पेड़ के पास वापस चला गया। जैसे ही मगरमच्छ किनारे पहुंचा, बंदर तुरंत उछलकर पेड़ पर चढ़ गया और हंसते हुए बोला, "मूर्ख मगरमच्छ! कोई अपना दिल निकालकर रख सकता है क्या? तुमने दोस्ती के साथ धोखा किया, इसलिए अब से हमारी दोस्ती खत्म!"

मगरमच्छ शर्मिंदा हुआ और चुपचाप वापस नदी में चला गया।

सीख:

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें हमेशा अपनी बुद्धि और चतुराई से काम लेना चाहिए। मुश्किल समय में धैर्य और समझदारी से काम करके हम किसी भी समस्या से बाहर निकल सकते हैं।

अंधे व्यक्ति का उपहार

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक अंधा व्यक्ति रहता था। वह बहुत बुद्धिमान और दयालु था। गाँव के लोग उसकी समझदारी और अच्छे स्वभाव की वजह से उसका बहुत सम्मान करते थे।

वह रोज़ शाम को अपनी लकड़ी की छड़ी के सहारे गाँव के चौक तक जाता और वहाँ बैठकर लोगों की बातें सुनता। उसके पास देखने की शक्ति नहीं थी, लेकिन उसकी सुनने और महसूस करने की क्षमता अद्भुत थी।

एक दिन, गाँव में एक यात्री आया। उसने देखा कि अंधा व्यक्ति लोगों की समस्याओं को ध्यान से सुन रहा है और उन्हें समझदारी भरी सलाह दे रहा है। यात्री को बहुत आश्चर्य हुआ। वह अंधे व्यक्ति के पास गया और बोला, "तुम देख नहीं सकते, फिर भी इतनी गहरी बातें कैसे कर लेते हो?"

अंधे व्यक्ति ने मुस्कुराकर कहा, "भगवान ने मेरी आँखों की रोशनी तो ले ली, लेकिन बदले में मुझे एक और अनमोल उपहार दिया—समझने और महसूस करने की शक्ति। मैं लोगों की आवाज़, उनके शब्दों के पीछे छुपे भाव और उनके दिल की सच्चाई को सुन सकता हूँ।"

यात्री उसकी बातों से प्रभावित हुआ और उसने सोचा, "सच ही कहा जाता है, आँखें केवल दृश्य दिखाती हैं, लेकिन असली समझ दिल और दिमाग से आती है।"

सीख:

मिलती है कि हर कमी के पीछे कोई न कोई अनोखा उपहार छुपा होता है। हमें अपनी कमजोरियों पर पछताने के बजाय, अपने भीतर छिपी विशेष शक्तियों को पहचानना चाहिए और उनका सही उपयोग करना चाहिए। 🌿✨

7.टूटे घड़े का मूल्य

एक समय की बात है, एक गाँव में एक वृद्ध व्यक्ति रहता था। वह प्रतिदिन नदी से पानी भरकर अपने घर लाने के लिए दो घड़ों का उपयोग करता था। ये घड़े एक डंडे से बंधे होते थे, जिसे वह अपने कंधे पर रखता था। इनमें से एक घड़ा बिल्कुल सही था, जबकि दूसरा घड़ा थोड़ा टूटा हुआ था, जिससे पानी टपकता रहता था।

जब भी वह वृद्ध व्यक्ति नदी से पानी भरकर घर लौटता, पूरा पानी सही घड़े में सुरक्षित रहता, जबकि टूटा घड़ा आधा खाली हो जाता। यह सिलसिला वर्षों तक चलता रहा। टूटा हुआ घड़ा बहुत दुखी रहता था और स्वयं को बेकार समझता था। एक दिन उसने बूढ़े से कहा,

"मालिक, मैं बहुत शर्मिंदा हूँ। मेरे टूटे होने के कारण आपका आधा पानी रास्ते में ही गिर जाता है। मैं आपके किसी काम का नहीं हूँ। मुझे बदल क्यों नहीं देते?"

वृद्ध व्यक्ति मुस्कुराया और बोला,
"तुमने कभी ध्यान दिया कि रास्ते के एक तरफ हरी-भरी घास और सुंदर फूल उगे हैं, जबकि दूसरी तरफ कुछ नहीं?"

घड़े ने सिर हिलाया।

वृद्ध व्यक्ति ने समझाया,
"मैंने तुम्हारी दरारों को बहुत पहले देख लिया था। इसलिए मैंने रास्ते में फूलों के बीज बो दिए। रोज़ जब हम नदी से लौटते थे, तुम्हारे टपकते पानी से वे पौधे सिंचित होते रहे और आज वे सुंदर फूल बन गए हैं। तुम्हारी वजह से ही यह रास्ता इतना सुंदर हो गया है।"

यह सुनकर टूटा घड़ा गर्व से भर गया। उसने समझ लिया कि उसकी कमजोरी भी किसी के लिए लाभदायक हो सकती है।

सीख:
हम सभी में कुछ न कुछ कमजोरियाँ होती हैं, लेकिन यही विशेषताएँ हमें अद्वितीय बनाती हैं। अगर हम अपनी कमियों को स्वीकार कर उनका सही उपयोग करें, तो वे भी किसी के लिए वरदान बन सकती हैं।

8.गरीब व्यक्ति का अमीर दिल

एक अमीर दिल होना पैसों से नहीं, बल्कि इंसानियत, प्रेम और दयालुता से तय होता है। गरीब व्यक्ति भले ही साधन-संपन्न न हो, लेकिन उसका दिल अक्सर अमीरी की सच्ची परिभाषा को दर्शाता है।

कई बार हम देखते हैं कि जिनके पास अधिक संपत्ति होती है, वे अपनी दौलत को बढ़ाने में ही लगे रहते हैं। लेकिन एक गरीब व्यक्ति, जिसके पास सीमित संसाधन होते हैं, वह भी दूसरों के लिए अपने दिल और हाथ खोलकर रखता है। यह उनकी असली अमीरी होती है।

गरीबी में भी दयालुता

गरीब व्यक्ति अपने हिस्से की रोटी भी जरूरतमंद के साथ बाँटने की भावना रखता है। उसके पास ज्यादा कुछ नहीं होता, लेकिन जो भी होता है, उसमें सबका हिस्सा होता है। एक रिक्शावाला, जो दिनभर मेहनत करता है, वह भी अपनी कमाई से किसी भूखे को खाना खिला देता है। यह अमीरी नहीं तो और क्या है?

दिल की अमीरी का असली उदाहरण

अगर हम जीवन में ऐसे लोगों को देखें जिन्होंने दूसरों की भलाई के लिए अपना सब कुछ दे दिया, तो पाएंगे कि वे संपत्ति में नहीं, बल्कि दिल से अमीर थे। मदर टेरेसा, महात्मा गांधी जैसे लोग भले ही खुद के लिए ज्यादा न सोचते हों, लेकिन उन्होंने दूसरों की भलाई में ही अपनी खुशी देखी।

सीखने लायक बातें

  1. पैसे से ज्यादा जरूरी है इंसानियत – दौलत तो आती-जाती रहती है, लेकिन अच्छे कर्म और नेकदिल इंसान को हमेशा याद रखा जाता है।
  2. सहायता करने में संकोच न करें – चाहे आप कितने भी साधन-संपन्न हों या न हों, किसी की मदद करने के लिए बड़ा दिल चाहिए, बड़ा बैंक बैलेंस नहीं।
  3. खुशी बाँटने से बढ़ती है – गरीब व्यक्ति छोटी-छोटी चीज़ों में खुशियाँ ढूँढता है और दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाकर खुद भी संतोष पाता है।

निष्कर्ष

असली अमीरी पैसों में नहीं, बल्कि दिल की दरियादिली में होती है। गरीब व्यक्ति का अमीर दिल हमें यह सिखाता है कि सच्चा सुख दूसरों की सेवा, प्रेम और सहानुभूति में है। जो इंसान दूसरों के लिए जीता है, वही दुनिया में सबसे अमीर होता है। 🌸💖

9.घमंडी मोर और विनम्र गौरैया

एक घने जंगल में एक सुंदर मोर रहता था। उसकी रंग-बिरंगी पंखों की छटा देखते ही बनती थी। वह खुद को सबसे सुंदर और श्रेष्ठ मानता था। जब भी वह जंगल के किसी तालाब के पास जाता, तो अपने प्रतिबिंब को देखकर गर्व से भर उठता और अपने सुंदर पंखों को फैलाकर इतराने लगता।

"मेरे जैसा कोई नहीं! मैं सबसे सुंदर हूं," मोर अक्सर कहता।

उसी जंगल में एक छोटी-सी गौरैया भी रहती थी। वह बहुत विनम्र और समझदार थी। वह सभी से प्रेमपूर्वक बात करती और हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहती।

एक दिन, जंगल में तेज आंधी आई। बादल गरजने लगे और मूसलाधार बारिश होने लगी। मोर बहुत घबरा गया। उसके भारी पंख भीग गए, और वह उड़ने में असमर्थ हो गया। ठंड से कांपते हुए, वह एक पेड़ के नीचे पनाह ढूंढने लगा।

उसी समय, गौरैया पास के पेड़ की एक छोटी-सी डाल पर बैठी थी। उसने मोर की परेशानी देखी और कहा, "मोर भाई, आंधी में खुद को संभालने की कोशिश करो। यह मौसम सबके लिए कठिन होता है।"

मोर ने दुखी होकर कहा, "मेरी सुंदरता का क्या फायदा, जब मैं खुद को बचा ही नहीं सकता? तुम्हारी तरह छोटे पंख होते तो कम से कम उड़कर किसी सुरक्षित जगह पहुंच जाता!"

गौरैया मुस्कुराई और बोली, "सिर्फ सुंदरता ही नहीं, बल्कि बुद्धिमानी और विनम्रता भी जीवन में जरूरी होती है। घमंड कभी भी किसी का साथ नहीं देता।"

मोर को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने समझ लिया कि केवल बाहरी सुंदरता ही सबकुछ नहीं होती, बल्कि सरलता और मदद की भावना भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है।

शिक्षा:
घमंड कभी भी सफलता की गारंटी नहीं देता, बल्कि विनम्रता और समझदारी ही सच्ची खूबसूरती होती है।

10.संकीर्ण पुल पर दो बकरे

एक समय की बात है, एक गाँव में एक संकीर्ण (संकरी) लकड़ी का पुल था, जो नदी के दो किनारों को जोड़ता था। यह पुल इतना पतला था कि एक बार में केवल एक ही प्राणी इस पर से गुजर सकता था।

एक दिन, दो बकरे—एक काले रंग का और दूसरा सफेद—अलग-अलग दिशाओं से पुल पर आ गए। दोनों अपनी-अपनी राह पर आगे बढ़ रहे थे और पुल के बीचों-बीच आकर आमने-सामने खड़े हो गए। अब समस्या यह थी कि पुल इतना संकरा था कि दोनों एक साथ नहीं निकल सकते थे, और कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था।

काले बकरे ने कहा, "मैं पहले आया हूँ, तुम रास्ता छोड़ो!"
सफेद बकरे ने जवाब दिया, "नहीं! मैं पहले जाऊँगा, तुम पीछे हटो!"

दोनों अपनी ज़िद पर अड़े रहे, और देखते ही देखते, तकरार बढ़ने लगी। दोनों ने एक-दूसरे को धक्का देना शुरू कर दिया। लेकिन पुल की चौड़ाई इतनी कम थी कि संतुलन बिगड़ गया, और दोनों बकरे धड़ाम से नदी में गिर गए। सौभाग्य से, नदी में पानी था, जिससे दोनों को चोट नहीं आई, लेकिन वे भीगे हुए किनारे पर वापस आ गए।

कुछ दिनों बाद, वही स्थिति फिर से आई। इस बार, दो अन्य बकरे पुल पर आमने-सामने आ गए। लेकिन वे समझदार थे। एक बकरे ने झुककर बैठने का फैसला किया, जिससे दूसरा आराम से उसके ऊपर से होकर निकल गया। इस तरह, दोनों सुरक्षित अपनी-अपनी दिशा में चले गए।

सीख:

यह कहानी हमें सिखाती है कि हठ और अहंकार के कारण हानि होती है, जबकि समझदारी और आपसी सहयोग से सभी को लाभ होता है। रास्ता देने से सम्मान कम नहीं होता, बल्कि परिपक्वता और विवेक की पहचान होती है।

11.एकता की शक्ति

एकता की शक्ति

एक गाँव में चार दोस्त हते थे—राम, श्याम, मोहन, और दीपक। वे बचपन से साथ थे, लेकिन समय के साथ उनके बीच झगड़े और मतभेद बढ़ने लगे। छोटी-छोटी बातों पर वे एक-दूसरे से नाराज़ हो जाते और आपस में बात करना भी बंद कर देते।

गाँव के बुजुर्गों ने कई बार उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वे अपनी लड़ाई में इतने उलझ चुके थे कि किसी की बात नहीं सुनते थे।

एक दिन की घटना

गाँव के पास एक घना जंगल था, जहाँ कई जंगली जानवर रहते थे। एक दिन, चारों दोस्त अलग-अलग रास्तों से जंगल की ओर गए। तभी वहाँ एक खतरनाक शेर आ गया। चारों ने अपनी-अपनी जान बचाने की कोशिश की, लेकिन अकेले होने के कारण वे कमजोर पड़ गए।

राम पेड़ पर चढ़ गया, श्याम झाड़ी में छिप गया, मोहन भागने लगा, और दीपक डर से कांपने लगा। लेकिन शेर उन सभी पर नजर रखे हुए था।

समझदारी और एकता

तभी राम को एक उपाय सूझा। उसने ऊँची आवाज़ में चिल्लाकर अपने दोस्तों को बुलाया और कहा, "अगर हम मिलकर शेर का सामना करें, तो शायद उसे भगा सकते हैं!"

चारों ने हिम्मत जुटाई और एकता का परिचय दिया। उन्होंने मिलकर लाठियों और पत्थरों से शेर को डराने की कोशिश की। चारों ने शोर मचाया, एक साथ हिलने-डुलने लगे और डंडे घुमाने लगे। शेर यह देखकर डर गया और भाग गया।

सबक

इस घटना के बाद चारों दोस्तों को समझ आ गया कि "अकेले हम कमजोर हैं, लेकिन साथ मिलकर हम किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं।"

उन्होंने आपसी झगड़े भुला दिए और हमेशा मिलकर रहने का संकल्प लिया। गाँव के बुजुर्ग भी उनकी एकता देखकर बहुत खुश हुए।

शिक्षा:
"एकता में शक्ति है। जब हम साथ होते हैं, तो सबसे बड़ी मुश्किल भी आसान लगने लगती है।"

12.सच्चे मित्र का मूल्य

50+ Best Moral Stories in Hindi for Class 5 | सच्चे मित्र का मूल्य

राजू और मोहन बचपन के दोस्त थे। दोनों एक ही गाँव में रहते थे और साथ ही बड़े हुए थे। राजू एक अमीर किसान का बेटा था, जबकि मोहन एक गरीब मजदूर का बेटा था। लेकिन उनकी दोस्ती में कभी कोई फर्क नहीं आया।

समय बीता, और राजू को शहर जाकर व्यापार करने का अवसर मिला। उसने अपने व्यापार में खूब तरक्की की और कुछ ही सालों में एक बड़ा व्यापारी बन गया। इधर, मोहन गाँव में ही रहा और अपने छोटे-से खेत में मेहनत करता रहा।

एक दिन राजू बहुत समय बाद गाँव लौटा। अब वह बहुत अमीर हो चुका था, और उसकी शान-शौकत देखकर गाँववाले भी उसे सम्मान देने लगे। लेकिन अब उसका व्यवहार बदल गया था। वह अपने पुराने दोस्तों को भूल चुका था, यहाँ तक कि मोहन को भी नजरअंदाज करने लगा।

एक दिन गाँव में अचानक भारी बारिश हुई, जिससे कई घर बर्बाद हो गए। मोहन का घर भी गिर गया, और वह बहुत मुश्किल में पड़ गया। जब उसे कोई सहारा नहीं मिला, तो उसने राजू के पास जाकर मदद माँगी। लेकिन राजू ने उसे अनदेखा कर दिया और कहा, "मैं अब बहुत बड़ा आदमी हूँ, तुम्हारी मदद करना मेरे बस की बात नहीं।"

मोहन को बहुत दुःख हुआ, लेकिन उसने हार नहीं मानी। वह अपनी मेहनत से फिर से अपने पैरों पर खड़ा हुआ और धीरे-धीरे अपनी स्थिति सुधार ली।

कुछ सालों बाद, राजू का व्यापार घाटे में चला गया। उसे धोखा मिला और वह सब कुछ खो बैठा। हताश और निराश होकर वह गाँव वापस लौटा, लेकिन इस बार उसकी हालत बहुत खराब थी। गाँव के लोगों ने उसे अनदेखा कर दिया, क्योंकि अब वह अमीर नहीं रहा था।

लेकिन मोहन ने ऐसा नहीं किया। उसने राजू को अपने घर बुलाया, उसे भोजन कराया और उसकी मदद की। राजू की आँखों में आँसू आ गए। उसने कहा, "मैंने तुम्हें तब ठुकरा दिया था जब तुम्हें मेरी सबसे ज्यादा जरूरत थी, लेकिन आज जब मैं मुश्किल में हूँ, तो तुमने मुझे अपना लिया।"

मोहन मुस्कुराया और बोला, "सच्ची दोस्ती पैसे से नहीं, दिल से होती है। दोस्त वही जो बुरे समय में साथ खड़ा रहे।"

उस दिन राजू को सच्चे मित्र का मूल्य समझ में आया। उसने मोहन से माफी माँगी और सच्चे रिश्तों की अहमियत को महसूस किया।

शिक्षा:

सच्ची दोस्ती धन-दौलत से नहीं, बल्कि प्रेम, भरोसे और निःस्वार्थ सहायता से बनती है। असली मित्र वही होते हैं, जो हर परिस्थिति में हमारे साथ खड़े रहते हैं।

12.आलसी लड़के का परिवर्तन

आलसी लड़के का परिवर्तन

गाँव में एक लड़का था, जिसका नाम रवि था। वह बहुत आलसी था। न तो वह ठीक से पढ़ाई करता और न ही घर के कामों में मदद करता। पूरा दिन बस इधर-उधर घूमता और आराम करता। उसके माता-पिता बहुत परेशान थे, लेकिन लाख समझाने के बाद भी वह अपनी आदतें नहीं बदलता।

एक दिन गाँव में एक प्रसिद्ध साधु आए। उन्होंने सुना कि रवि बहुत आलसी है। वे उसके घर गए और बोले, "बेटा, तुम इतना आलसी क्यों हो?"

रवि ने हंसते हुए कहा, "मुझे मेहनत करना अच्छा नहीं लगता। आराम में ही मज़ा आता है!"

साधु मुस्कुराए और बोले, "अगर मैं तुम्हें एक जादुई चीज़ दूं, जिससे तुम्हारी ज़िंदगी बदल सकती है, तो क्या तुम लोगे?"

रवि उत्साहित हो गया और बोला, "बिलकुल! मुझे वह जादुई चीज़ दीजिए!"

साधु ने उसे एक बीज दिया और कहा, "इसे रोज़ पानी देना, देखभाल करना और धैर्य रखना। जब यह पेड़ बनेगा, तो तुम्हें इसका फल मिलेगा, जो तुम्हारी तक़दीर बदल देगा।"

रवि ने सोचा कि यह आसान काम है। उसने पहले दिन पानी दिया, फिर दूसरे दिन भी। लेकिन कुछ दिनों बाद वह फिर से आलसी हो गया और पौधे का ध्यान रखना बंद कर दिया। धीरे-धीरे पौधा मुरझाने लगा।

साधु फिर आए और देखा कि पौधा सूख रहा है। उन्होंने रवि से पूछा, "बेटा, तुमने इसका ध्यान क्यों नहीं रखा?"

रवि शर्मिंदा होकर बोला, "मुझे मेहनत करने की आदत नहीं है।"

साधु हंसकर बोले, "यही तुम्हारी समस्या है। जीवन भी इसी पौधे की तरह है। अगर तुम मेहनत नहीं करोगे, तो सफलता नहीं मिलेगी। अगर तुम धैर्य और मेहनत से काम करोगे, तो तुम्हारी तक़दीर खुद-ब-खुद बदल जाएगी।"

रवि को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने ठान लिया कि वह मेहनत करेगा और आलस्य को त्याग देगा। धीरे-धीरे उसने पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया और घर के कामों में भी मदद करने लगा। कुछ सालों बाद वह गाँव का सबसे बुद्धिमान और सफल व्यक्ति बन गया।

शिक्षा:

मेहनत और धैर्य से ही सफलता मिलती है। आलस्य से जीवन बर्बाद हो जाता है।

13.मूर्ख कुत्ता और उसकी परछाईं

मूर्ख कुत्ता और उसकी परछाईं

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में भूखा कुत्ता भटक रहा था। काफी खोजने के बाद, उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। वह रोटी लेकर एक शांत जगह पर जाकर खाने की सोच रहा था।

चलते-चलते वह एक नदी के किनारे पहुंचा। नदी के ऊपर एक पुल था, जिसे पार करते समय उसने पानी में अपनी परछाईं देखी। परछाईं में उसे एक और कुत्ता दिखाई दिया, जिसके मुँह में भी एक रोटी थी। कुत्ते की आँखें लालच से भर गईं। उसने सोचा, “उस कुत्ते के पास बड़ी रोटी है। अगर मैं उसकी रोटी छीन लूँ तो मेरे पास दो रोटियाँ हो जाएंगी!”

यह सोचकर उसने ज़ोर से भौंकना शुरू किया। जैसे ही उसने मुँह खोला, उसके मुँह की रोटी पानी में गिर गई। अब वह खाली मुँह खड़ा था, और उसकी लालच उसे पछतावा दे रही थी। उसने सीखा कि दूसरों की चीज़ों पर लालच करने से हम अपने हाथ में जो है, उसे भी खो देते हैं।

सीख:

लालच बुरी बला है। जो हमारे पास है, उसकी कद्र करनी चाहिए।

14.पैसे के पीछे भागने वाला व्यापारी

पैसे के पीछे भागने वाला व्यापारी

किसी समय की बात है, एक गाँव में रामलाल नाम का एक व्यापारी रहता था। वह बहुत लालची था और उसकी ज़िंदगी का एक ही मकसद था—ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमाना। उसके पास पहले से ही बहुत संपत्ति थी, लेकिन फिर भी वह हमेशा पैसों के पीछे भागता रहता था।

रामलाल दिन-रात व्यापार बढ़ाने में लगा रहता, अपने परिवार और दोस्तों के लिए उसके पास समय नहीं था। वह गरीबों की मदद करना तो दूर, उन्हें दुत्कार देता था। उसकी सोच थी कि केवल पैसा ही इंसान की असली ताकत है।

एक स्वर्ण अवसर

एक दिन, एक संत उसके गाँव में आए। वे बहुत ज्ञानी और शांत स्वभाव के थे। रामलाल ने सुना कि संत भविष्य देख सकते हैं, तो उसने उनसे अपना भविष्य जानने की इच्छा जताई।

संत ने मुस्कुराकर कहा, "तुम्हारे पास बहुत धन-संपत्ति होगी, लेकिन जीवन के अंत में तुम इसे छोड़कर खाली हाथ जाओगे।"-

रामलाल हँसते हुए बोला, "मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मेरे लिए पैसा ही सबसे बड़ा सत्य है!"

संत ने कहा, "अगर ऐसा ही है, तो एक काम करो। कल सुबह सूरज उगने से पहले इस जंगल में चलो, जहाँ तुम जितनी ज़मीन दौड़कर छू लोगे, वह तुम्हारी हो जाएगी। लेकिन एक शर्त है—सूरज ढलने से पहले तुम वापस उसी जगह आ जाओ, जहाँ से शुरुआत की थी, वरना सब कुछ खो दोगे!"

लालच का अंत

रामलाल बहुत खुश हुआ और अगले दिन सुबह जल्दी ही दौड़ने लगा। वह जितनी दूर जा सकता था, उतनी दूर दौड़ता गया, ज़्यादा से ज़्यादा ज़मीन हासिल करने की कोशिश करने लगा। वह बिना रुके भागता गया, लेकिन उसे यह ध्यान ही नहीं रहा कि उसे लौटना भी है।

शाम होते-होते जब सूरज ढलने लगा, तो उसे संत की शर्त याद आई। उसने वापस दौड़ना शुरू किया, लेकिन उसका शरीर थक चुका था। फिर भी वह पूरी ताकत लगाकर दौड़ता रहा। अंत में, जब वह वापस अपनी शुरुआत की जगह पहुँचा, तो उसकी साँस फूल गई और वह ज़मीन पर गिर पड़ा।

जीवन का सबसे बड़ा सबक

संत पास आए और बोले, "देखो, तुम्हारा लालच तुम्हें कहाँ ले आया! तुमने इतनी दौड़ लगाई, लेकिन अंत में तुम्हें सिर्फ़ इतनी ज़मीन मिली, जितनी तुम्हारे शरीर को दफनाने के लिए चाहिए!"

रामलाल ने अपनी आखिरी साँस लेते हुए समझा कि "पैसा सब कुछ नहीं होता। जीवन में परिवार, रिश्ते और संतोष सबसे बड़ी दौलत होती है।"

सीख:
अत्यधिक लालच इंसान को अंधा बना देता है। हमें जीवन में संतोष रखना चाहिए और अपनी खुशी, परिवार, और सच्चे रिश्तों को पैसों से ज़्यादा महत्व देना चाहिए।

15.ईमानदारी से रहित गाँव

ईमानदारी से रहित गाँव

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव था जिसका नाम "धोखापुर" था। इस गाँव की खासियत यह थी कि वहाँ का हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में बेईमानी करता था। कोई व्यापार में धोखा देता, तो कोई झूठ बोलकर लाभ कमाता। गाँव के लोग अपनी चतुराई पर गर्व करते और मानते थे कि ईमानदारी सिर्फ मूर्खों के लिए होती है।

गाँव में एक अजनबी का आगमन

एक दिन, एक वृद्ध अजनबी उस गाँव में आया। उसकी आँखों में गहराई थी और चेहरे पर अजीब-सी शांति। उसने गाँववालों से पूछा,
"क्या इस गाँव में कोई ईमानदार व्यक्ति रहता है?"

गाँववाले हँसने लगे और बोले, "यहाँ ईमानदारी का कोई स्थान नहीं है। यदि तुम यहाँ रहना चाहते हो, तो अपनी ईमानदारी छोड़ दो, वरना ठगे जाओगे!"

वृद्ध मुस्कुराया और कहा, "मैं कुछ समय इस गाँव में रहूँगा। देखते हैं, क्या कोई परिवर्तन संभव है।"

सच्चाई की रोशनी

वृद्ध ने गाँव के बीचों-बीच एक दुकान खोली, जहाँ उसने लिखा: "सिर्फ ईमानदारी से खरीदी और बेची जाएगी।" गाँववाले उस पर हँसते रहे, लेकिन धीरे-धीरे कुछ लोग उसके पास जाने लगे।

एक दिन, एक किसान वृद्ध की दुकान पर आया और ईमानदारी से सौदा करने की कोशिश की। जैसे ही उसने बिना छल के खरीदी-बिक्री की, उसे भीतर से एक अजीब-सी खुशी महसूस हुई। कुछ और लोग भी यह अनुभव करना चाहते थे।

धीरे-धीरे गाँव में बदलाव आने लगा। लोगों ने देखा कि ईमानदारी से व्यापार करने में ज्यादा संतोष और शांति मिलती है। अब गाँव में झूठ, धोखा और फरेब कम होने लगे। कुछ ही महीनों में, गाँव का नाम बदलकर "सत्यपुर" रख दिया गया।

शिक्षा:

"ईमानदारी केवल एक गुण नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है। जब हम सच्चाई को अपनाते हैं, तो न केवल हमारा जीवन सुखमय होता है, बल्कि समाज भी बेहतर बनता है।"

🌟 सच्चाई और ईमानदारी से बड़ा कोई धन नहीं! 🌟

16.कंजूस और उसका गड़ा हुआ सोना

कंजूस और उसका गड़ा हुआ सोना

एक गाँव में रमेश नाम का एक अत्यंत कंजूस व्यक्ति रहता था। वह दिन-रात पैसे बचाने के बारे में सोचता और एक भी पैसा व्यर्थ नहीं खर्च करता था। उसने वर्षों की मेहनत से काफी धन इकट्ठा किया, लेकिन उसे खर्च करने के बजाय, उसने अपने खेत के एक कोने में गड्ढा खोदकर सोने की अशर्फियाँ दबा दीं।

हर रात वह चुपचाप खेत में जाता, उस स्थान को खोदता, सोने की चमक देखकर संतोष महसूस करता और फिर उसे वैसे ही मिट्टी से ढक देता। यह उसका रोज़ का नियम बन गया था।

एक दिन, गाँव का एक चतुर चोर रमेश को ऐसा करते हुए देख लिया। उसने रात होते ही उस स्थान से सारा सोना निकाल लिया और वहाँ से फरार हो गया।

अगली सुबह, जब रमेश रोज़ की तरह अपनी दौलत देखने पहुँचा, तो गड्ढा खाली देखकर जोर-जोर से रोने लगा। उसकी चीख-पुकार सुनकर गाँववाले वहाँ इकट्ठा हो गए। जब उन्होंने रमेश से रोने का कारण पूछा, तो उसने सारी बात बता दी।

गाँव के एक बुजुर्ग ने हँसते हुए कहा, "रमेश, जब तुम इस सोने को कभी इस्तेमाल ही नहीं करते थे, तो यह सोना तुम्हारे लिए था ही नहीं। तुम इसे पत्थरों से भी बदल सकते थे, क्योंकि दोनों ही तुम्हारे लिए समान थे!"

यह सुनकर रमेश को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने समझ लिया कि धन का सही उपयोग करना ही असली बुद्धिमानी है।

शिक्षा:

धन केवल संचित करने के लिए नहीं, बल्कि सही समय पर सही तरीके से उपयोग करने के लिए होता है। यदि धन को सही उद्देश्य में नहीं लगाया जाए, तो वह बेकार ही होता है।

17.बदसूरत बत्तख़ का आंतरिक सौंदर्य


एक बार की बात है, एक सुंदर झील के किनारे एक बत्तख़ का परिवार रहता था। वहां एक नई माँ बत्तख़ ने अंडे दिए थे। जब वे अंडे फूटे, तो उनमें से सुंदर-सुंदर पीले रंग के छोटे बत्तख़ निकले। लेकिन एक अंडा थोड़ा बड़ा और अलग दिख रहा था। जब वह फूटा, तो उसमें से एक बत्तख़ का बच्चा निकला, जो बाकी बत्तख़ों से बहुत अलग था।

उसका रंग धूसर था, उसके पंख अजीब से थे और वह बाकी बच्चों जितना सुंदर नहीं था। उसकी माँ ने तो उसे स्वीकार किया, लेकिन बाकी सभी बत्तख़ें उसे बदसूरत कहकर चिढ़ाने लगीं। झील के अन्य पक्षी भी उसका मज़ाक उड़ाते थे। वह बहुत उदास रहने लगा और खुद को अलग-थलग महसूस करने लगा।

एक दिन, वह दुखी होकर झील छोड़कर चला गया। रास्ते में उसे कई तरह के पक्षी मिले, लेकिन सभी उसे अजीब कहकर दूर कर देते। ठंड के दिन आ गए और उसने खुद को किसी तरह जीवित रखा।

फिर वसंत आया, और एक दिन उसने एक झील में अपने प्रतिबिंब को देखा। वह चौंक गया! अब वह एक सुंदर हंस में बदल चुका था। उसके लंबे, सफेद पंख चमक रहे थे, और उसकी गरिमा देखते ही बन रही थी। उसे तब एहसास हुआ कि वह कभी भी बदसूरत नहीं था; वह बस बाकी बत्तख़ों से अलग था।

अब, वही पक्षी जो पहले उसे ताने मारते थे, उसकी सुंदरता की तारीफ करने लगे। लेकिन अब उसे किसी की स्वीकृति की जरूरत नहीं थी। उसे समझ आ गया था कि असली सुंदरता बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक होती है।

शिक्षा: हमें खुद को और अपनी अनोखी विशेषताओं को अपनाना चाहिए, क्योंकि असली सुंदरता हमारे आत्मविश्वास और आंतरिक गुणों में होती है, न कि सिर्फ हमारे बाहरी रूप में।

18.लोमड़ी और अंगूर

एक समय की बात है, एक घने जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थी। वह हमेशा नए-नए उपाय सोचती थी ताकि बिना ज्यादा मेहनत किए ही भोजन मिल जाए।

एक दिन, जब वह भोजन की तलाश में जंगल में घूम रही थी, तो उसकी नज़र एक बड़े पेड़ की बेल पर पड़ी। बेल पर रसीले, लाल-लाल अंगूर लटके हुए थे। उन्हें देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया।

"अहा! ये अंगूर तो बहुत स्वादिष्ट लग रहे हैं!" उसने सोचा और उन्हें पाने के लिए छलांग लगाई। लेकिन अंगूर ऊँचाई पर थे और उसकी छलांग वहाँ तक नहीं पहुँच सकी।

लोमड़ी ने फिर से जोर लगाकर कूदा, लेकिन फिर असफल रही। उसने कई बार कोशिश की, पर हर बार अंगूर उसकी पहुँच से दूर ही रहे।

थक हारकर लोमड़ी पीछे हटी और खुद से बोली, "अरे, ये अंगूर तो खट्टे हैं! इन्हें खाना ही क्यों?" और वह अपने रास्ते आगे बढ़ गई।

शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब हमें कोई चीज़ नहीं मिल पाती, तो हमें उसे बुरा कहने के बजाय अपनी कोशिशों को और बेहतर बनाना चाहिए। हार मानने की बजाय मेहनत करते रहना ही सफलता की कुंजी है।

19.तितली की संघर्ष यात्रा

गर्मी की एक सुहानी सुबह थी। एक छोटे से बगीचे में एक कोमल अंडा पत्ते के नीचे चिपका हुआ था। कुछ दिनों बाद, उस अंडे से एक नन्ही सी सूंडी निकली। वह बहुत भूखी थी, इसलिए वह लगातार पत्तियाँ खाती रही और धीरे-धीरे बड़ी होती गई।

समय बीतता गया, और एक दिन उसने महसूस किया कि अब उसे एक नया रूप लेना होगा। उसने खुद को एक मजबूत खोल, जिसे कोकून कहा जाता है, में बंद कर लिया। यह कोकून उसका सुरक्षा कवच था, लेकिन यह संघर्ष से भरा समय भी था। अंदर घुटन थी, अंधेरा था, और हर पल धैर्य की परीक्षा थी।

दिन, हफ्ते और फिर महीने बीत गए। अंदर एक हलचल हुई—कुछ नया जन्म ले रहा था। धीरे-धीरे, कोकून में हल्की सी दरार आई, और एक नन्ही तितली ने बाहर निकलने के लिए संघर्ष करना शुरू किया। वह जितनी अधिक कोशिश कर रही थी, उतनी ही कठिनाई हो रही थी।

पास से गुजर रहे एक छोटे बच्चे ने यह देखा और दया आ गई। उसने सोचा कि तितली को मदद की जरूरत है। उसने कोकून को हल्के से तोड़ दिया ताकि तितली आसानी से बाहर आ सके। तितली बाहर तो आ गई, लेकिन उसके पंख कमजोर और सिकुड़े हुए थे। वह उड़ नहीं सकी।

बच्चे को समझ नहीं आया कि आखिर यह क्या हुआ! तभी उसके दादाजी ने उसे समझाया—

"बेटा, यह तितली के जीवन की परीक्षा थी। जब तितली खुद अपने बल पर कोकून को तोड़कर बाहर निकलती है, तो उसके पंखों में शक्ति आती है। संघर्ष ही उसे उड़ने के योग्य बनाता है। तुम्हारी सहायता ने उसकी उड़ान छीन ली।"

यह सुनकर बच्चा समझ गया कि जीवन में संघर्ष का क्या महत्व है। तितली धीरे-धीरे पेड़ की एक टहनी पर बैठ गई, लेकिन वह उड़ नहीं पाई।

शिक्षा:

जीवन में संघर्ष का अपना महत्व होता है। कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं और आगे बढ़ने की ताकत देती हैं। अगर हम हर मुश्किल से बचने की कोशिश करेंगे, तो हम अपनी असली शक्ति को कभी नहीं पहचान पाएंगे। संघर्ष ही सफलता की असली कुंजी है।

"संघर्ष ही जीवन की असली उड़ान है!" 🚀✨

20.असली दौलत

50+ Best Moral Stories in Hindi for Class 5 | दौलत

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में राम नाम का एक गरीब किसान रहता था। वह दिन-रात मेहनत करता, लेकिन फिर भी उसके पास इतना पैसा नहीं था कि वह अपनी जरूरतें पूरी कर सके। उसके पास बस एक पुराना घर, एक बैल और छोटा सा खेत था।

एक दिन, गाँव में एक साधु आए। वे बहुत विद्वान और तेजस्वी थे। लोग उनसे आशीर्वाद लेने जा रहे थे। राम भी उनके पास गया और विनम्रता से बोला, "महाराज, मैं बहुत गरीब हूँ। कृपया मुझे ऐसा कोई उपाय बताइए जिससे मैं धनवान बन जाऊँ।"

साधु मुस्कुराए और बोले, "तू पहले से ही अमीर है, बस तुझे अपनी दौलत पहचाननी होगी।"
राम को यह बात समझ नहीं आई। उसने आश्चर्य से पूछा, "कैसे महाराज?"

साधु बोले, "अगर कोई तुम्हारे स्वास्थ्य के बदले तुम्हें सोना दे, तो क्या तुम अपना स्वास्थ्य दोगे?"
राम ने तुरंत मना कर दिया।

फिर साधु बोले, "अगर कोई तुम्हारे परिवार के प्यार के बदले हीरे दे, तो क्या तुम सहमत होगे?"
राम ने फिर सिर हिलाया, "नहीं महाराज, मेरा परिवार मेरे लिए अनमोल है।"

साधु ने मुस्कुराकर कहा, "देखो राम, तुम्हारे पास स्वास्थ्य, परिवार, प्यार और ईमानदारी जैसी अनमोल दौलत पहले से ही है। असली धन यही है। पैसे की कमी तुम्हें गरीब नहीं बनाती, बल्कि अपनी खुशियों को न पहचानना असली गरीबी है।"

राम की आँखें खुल गईं। उसने महसूस किया कि वह सच में अमीर था, क्योंकि उसके पास प्यार, मेहनत और संतोष था। उस दिन से, उसने शिकायत करना छोड़ दिया और खुशी-खुशी अपने जीवन को स्वीकार कर लिया।

शिक्षा:

धन सिर्फ पैसे से नहीं मापा जाता। असली दौलत हमारा स्वास्थ्य, परिवार, प्यार और संतोष है। अगर हम इन चीजों को महत्व देते हैं, तो हम सच्चे मायनों में अमीर हैं।

"सच्ची खुशी बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि हमारे मन की संतुष्टि में है।" 😊✨

21.मूझ़हिर की कहानी

एक छोटे से गाँव में मूझ़हिर नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत ही गरीब था, लेकिन उसकी मेहनत और ईमानदारी के कारण लोग उसे बहुत पसंद करते थे। वह बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसकी पढ़ाई में कई बाधाएँ आती थीं।

एक दिन, गाँव में एक बड़े व्यापारी ने घोषणा की कि वह गाँव के सबसे होशियार छात्र की पढ़ाई का खर्च उठाएगा। यह सुनकर मूझ़हिर बहुत खुश हुआ और पूरी मेहनत से प्रतियोगिता की तैयारी करने लगा। कई कठिनाइयों के बावजूद, उसने हार नहीं मानी और दिन-रात पढ़ाई में लगा रहा।

प्रतियोगिता का दिन आया, और मूझ़हिर ने अपने ज्ञान और मेहनत से पहला स्थान प्राप्त किया। व्यापारी ने उसे स्कॉलरशिप दी और उसकी उच्च शिक्षा का पूरा खर्च उठाने का वादा किया। मूझ़हिर ने पूरी लगन और समर्पण के साथ पढ़ाई की और एक दिन एक सफल इंजीनियर बन गया।

जब वह गाँव लौटा, तो उसने अपने गाँव के बच्चों के लिए एक स्कूल बनवाया ताकि किसी भी गरीब बच्चे को शिक्षा से वंचित न रहना पड़े।

शिक्षा:

संघर्ष और मेहनत से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। कभी भी हार मत मानो, क्योंकि सच्ची मेहनत का फल अवश्य मिलता है।

22. ईमानदार दुकानदार  

ईमानदार दुकानदार

एक गाँव में रमेश नाम का एक दुकानदार रहता था। वह बहुत ईमानदार और मेहनती था। एक दिन, एक ग्राहक ने उसकी दुकान से सामान खरीदा और बदले में एक पुराना नोट दिया। रमेश ने देखा कि नोट असली नहीं था, लेकिन ग्राहक को इस बात का पता नहीं था। रमेश ने उसे वापस बुलाया और कहा, "भाई, यह नोट नकली है, इसे बदल लो।" ग्राहक हैरान रह गया और उसने धन्यवाद दिया।  

कुछ दिनों बाद, वही ग्राहक रमेश की दुकान पर आया और उसने बताया कि उसकी ईमानदारी ने उसे प्रभावित किया है। उसने रमेश को एक बड़ा ऑर्डर दिया और उसकी दुकान की प्रसिद्धि पूरे गाँव में फैल गई। रमेश की ईमानदारी ने न केवल उसका व्यवसाय बढ़ाया बल्कि लोगों के दिलों में उसकी इज्जत भी बढ़ाई।  

सीख: 

ईमानदारी हमेशा सफलता की कुंजी होती है।  

23. टोपी बेचने वाला और बंदर  

एक टोपी बेचने वाला व्यक्ति जंगल से गुजर रहा था। थककर वह एक पेड़ के नीचे सो गया। जब उसकी नींद खुली तो उसने देखा कि उसकी सारी टोपियाँ गायब थीं। ऊपर देखने पर उसने कुछ बंदरों को अपनी टोपियाँ पहने हुए देखा। वह उन्हें वापस पाने के लिए बहुत कोशिश करता रहा, लेकिन बंदर उसकी नकल करते रहे।  


तभी उसे एक तरकीब सूझी। उसने अपने सिर से टोपी उतारी और जमीन पर फेंक दी। बंदरों ने भी ऐसा ही किया। इस तरह उसने अपनी सारी टोपियाँ वापस पा लीं।  

सीख: 

समस्याओं का समाधान बुद्धिमानी से ही मिलता है।  

24. युवा चित्रकार का संकल्प  

राहुल एक गरीब परिवार से था, लेकिन उसे चित्रकारी का शौक था। एक बार उसने एक प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला किया। उसने दिन-रात मेहनत की और एक सुंदर चित्र बनाया। प्रतियोगिता के दिन, उसका चित्र सबसे अलग और खूबसूरत था। जजों ने उसे पुरस्कार दिया और उसकी कला की सराहना की।  


राहुल ने अपनी मेहनत और लगन से साबित कर दिया कि साधनों की कमी अगर इरादे मजबूत हों तो कोई मायने नहीं रखती।  


सीख: मेहनत और लगन से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।  

25. जादुई पेंसिल  

एक गरीब लड़का रोहित को एक जादुई पेंसिल मिली जो उसकी हर इच्छा पूरी कर सकती थी। उसने पेंसिल से खाना, कपड़े और खिलौने माँगे। लेकिन जल्द ही उसे एहसास हुआ कि ये चीजें उसे खुश नहीं कर रही हैं। उसने पेंसिल से अपने गाँव के लिए एक स्कूल और अस्पताल बनवाया। इससे उसे असली खुशी मिली।  


सीख:दूसरों की मदद करने में ही असली खुशी होती है।  

26. पत्थर का सूप: करुणा की कहानी  

एक भूखा यात्री गाँव में आया और लोगों से खाना माँगा। किसी ने उसे कुछ नहीं दिया। तब उसने एक बड़ा बर्तन निकाला, उसमें पानी भरा और एक पत्थर डालकर उबालने लगा। गाँव वाले उत्सुक होकर पूछने लगे कि वह क्या कर रहा है। उसने कहा, "मैं पत्थर का सूप बना रहा हूँ। अगर आप थोड़ा नमक, सब्जियाँ या मसाले देंगे तो यह और स्वादिष्ट हो जाएगा।"  

गाँव वालों ने उसे सामान दिया और सूप बन गया। सभी ने मिलकर सूप पिया और यात्री ने सिखाया कि मिलकर काम करने से हर समस्या का हल निकलता है।  

सीख: 

सहयोग और करुणा से हर मुश्किल आसान हो जाती है।

27. गौरैया की मेहनत  

एक बार एक गौरैया ने अपने बच्चों के लिए घोंसला बनाने का फैसला किया। वह दिन-रात मेहनत करती रही, टहनियाँ और पत्तियाँ इकट्ठा करती रही। कुछ दिनों बाद उसका घोंसला तैयार हो गया। एक दिन तेज आंधी आई, लेकिन घोंसला मजबूत था और उसके बच्चे सुरक्षित रहे।  

एक कौए ने यह देखा और गौरैया से पूछा, "तुमने इतनी मेहनत क्यों की? मैं तो बस किसी पेड़ की डाल पर बैठ जाता हूँ।" गौरैया ने मुस्कुराते हुए कहा, "मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। मैंने अपने बच्चों के लिए सुरक्षा और सुख का इंतजाम किया है।"  

सीख: मेहनत से बनाई गई चीजें हमेशा टिकाऊ और सुरक्षित होती हैं।  

28. खोया बटुआ और ईमानदार लड़का  

राहुल एक गरीब लड़का था। एक दिन उसे सड़क पर एक बटुआ मिला। उसने देखा कि उसमें बहुत सारे पैसे और कुछ जरूरी कागजात हैं। राहुल ने सोचा कि वह इसे अपने पास रख ले, लेकिन फिर उसने सोचा कि यह गलत होगा। उसने बटुए को पुलिस स्टेशन जमा कर दिया।  

कुछ दिनों बाद बटुए का मालिक राहुल से मिला और उसकी ईमानदारी से प्रभावित होकर उसे एक अच्छी नौकरी दी। राहुल की ईमानदारी ने उसकी जिंदगी बदल दी।  

सीख: ईमानदारी हमेशा अच्छे परिणाम लाती है।  

29. एक दिया जो कई जलाए  

एक गाँव में एक बूढ़ा आदमी रहता था। वह हर शाम अपने घर के बाहर एक दिया जलाता था। एक दिन एक लड़के ने पूछा, "दादा, आप यह दिया क्यों जलाते हैं? यह तो बस थोड़ी रोशनी देता है।"  


बूढ़े ने मुस्कुराते हुए कहा, "बेटा, यह दिया न सिर्फ मेरे घर को रोशन करता है, बल्कि राहगीरों को भी रास्ता दिखाता है। एक छोटी सी रोशनी कई लोगों की मदद कर सकती है।"  

लड़का समझ गया कि छोटे-छोटे प्रयास भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं।  

सीख: छोटे काम भी बड़े प्रभाव डाल सकते हैं।  

30. अहंकारी अमीर और विनम्र गरीब  

एक अमीर आदमी था जो हमेशा अपने धन का घमंड करता था। एक दिन उसकी मुलाकात एक गरीब किसान से हुई। किसान ने उसे नम्रता से बात की, लेकिन अमीर आदमी ने उसकी बातों को नजरअंदाज कर दिया।  

कुछ समय बाद, अमीर आदमी का व्यापार डूब गया और वह गरीब हो गया। अब उसे एहसास हुआ कि धन का घमंड व्यर्थ है। उसने किसान से माफी माँगी और उसकी विनम्रता से सीख ली।  

सीख: घमंड हमेशा नुकसानदायक होता है, विनम्रता ही सच्ची पूँजी है।  

31. एक वोट की शक्ति  

एक गाँव में चुनाव होने वाले थे। सभी लोग अपने-अपने उम्मीदवार को वोट देने की तैयारी कर रहे थे। रामू नाम का एक युवक भी वोट डालने गया। उसके परिवार वालों ने कहा, "तुम्हारे एक वोट से क्या फर्क पड़ेगा?"  

रामू ने जवाब दिया, "अगर हर कोई ऐसा सोचेगा तो चुनाव का क्या मतलब रह जाएगा?" उसने अपना वोट डाला। चुनाव के नतीजे आए तो पता चला कि जीतने वाले उम्मीदवार को सिर्फ एक वोट से जीत मिली थी।  

सीख: हर एक वोट की अहमियत होती है, छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।  

32. गड़रिये की बुद्धिमानी  

एक गड़रिया अपनी भेड़ों को चराते हुए जंगल में खो गया। वह रास्ता ढूँढ़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी उसने देखा कि एक चींटी बार-बार एक ही रास्ते पर जा रही है।  

गड़रिये ने सोचा कि चींटी को अपने घर का रास्ता पता होगा। उसने चींटी का पीछा किया और कुछ ही देर में वह सही रास्ते पर पहुँच गया।  

सीख: छोटे-छोटे संकेतों पर ध्यान देना भी बुद्धिमानी है।  

33. माफ करने की शक्ति

एक गाँव में रमेश नाम का एक युवक रहता था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था, लेकिन उसके जीवन में एक दुश्मन था, सुरेश। सुरेश हमेशा रमेश के काम में बाधा डालता और उसे नीचा दिखाने की कोशिश करता। एक दिन, सुरेश ने रमेश की फसल को आग लगा दी। रमेश को बहुत गुस्सा आया, लेकिन उसने सुरेश से बदला लेने के बजाय उसे माफ कर दिया।

कुछ दिनों बाद, सुरेश बीमार पड़ गया। उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे। रमेश ने यह सुनकर उसकी मदद की और उसका इलाज करवाया। सुरेश को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने रमेश से माफी मांगी। रमेश ने उसे गले लगा लिया और कहा, "माफ करने की शक्ति ही सच्ची जीत है।"

सीख: माफ करने से न केवल दूसरों का दिल जीता जा सकता है, बल्कि अपने मन का बोझ भी हल्का होता है।

34. ईमानदारी का प्रतिफल

एक छोटे से गाँव में रहने वाला एक गरीब लड़का, राजू, बहुत ईमानदार था। एक दिन, उसे सड़क पर एक बटुआ मिला। बटुए में बहुत सारे पैसे और कुछ कीमती कागजात थे। राजू ने सोचा कि यह बटुआ किसी गरीब की मेहनत की कमाई हो सकती है। उसने बटुआ पुलिस को सौंप दिया।

कुछ दिनों बाद, बटुए का मालिक, एक धनी व्यापारी, राजू से मिला। उसने राजू की ईमानदारी से प्रभावित होकर उसे अपनी कंपनी में नौकरी दे दी। राजू की ईमानदारी ने उसकी जिंदगी बदल दी।


सीख: ईमानदारी हमेशा अच्छे परिणाम लाती है। यह न केवल दूसरों का विश्वास जीतती है, बल्कि खुद के लिए भी सम्मान लाती है।

35. बूढ़ा आदमी और उसके तीन बेटे

एक समय की बात है, एक गाँव में रामस्वरूप नामक एक वृद्ध व्यक्ति रहता था। उसके तीन बेटे थे, लेकिन वे हमेशा आपस में झगड़ते रहते थे। रामस्वरूप इस बात से बहुत चिंतित था।

एक दिन उसने अपने बेटों को बुलाया और उन्हें एक-एक लकड़ी दी। उसने कहा, "इसे तोड़ो।" तीनों ने आसानी से लकड़ियाँ तोड़ दीं। फिर बूढ़े आदमी ने एक गट्ठर में कई लकड़ियाँ बाँधकर दीं और कहा, "अब इसे तोड़ो।" तीनों ने कोशिश की, लेकिन कोई भी उसे नहीं तोड़ सका।

रामस्वरूप मुस्कुराया और बोला, "देखो, जब तुम अकेले हो, तो कमजोर हो, लेकिन जब तुम एकजुट रहोगे, तो कोई तुम्हें नहीं हरा सकता।" यह सुनकर तीनों बेटों को अपनी गलती का अहसास हुआ, और उन्होंने मिलकर रहने की कसम खाई।

शिक्षा:

एकता में शक्ति होती है। जब हम साथ रहते हैं, तो कोई भी मुश्किल हमें हरा नहीं सकती।

36. छोटी लड़की का बड़ा दिल

एक गाँव में सीमा नाम की छोटी लड़की रहती थी। वह बहुत दयालु थी। एक दिन उसने देखा कि उसका पड़ोसी भूखा बैठा है। सीमा ने बिना सोचे अपना खाना उसे दे दिया।

अगले दिन वह स्कूल जा रही थी, तभी रास्ते में एक बूढ़ी औरत मिली, जिसे चलने में दिक्कत हो रही थी। सीमा ने उनका हाथ पकड़कर सड़क पार करवाई।

सीमा की ये छोटी-छोटी दयालुता की बातें पूरे गाँव में फैल गईं। गाँव के लोग भी उसकी तरह दूसरों की मदद करने लगे।

शिक्षा:

छोटे-छोटे अच्छे काम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। दया और करुणा हमेशा फैलती हैं।

37. बुद्धिमान न्यायाधीश का निर्णय

एक गाँव में एक बुद्धिमान न्यायाधीश था। एक दिन दो आदमी उसके पास आए। एक ने कहा, "इसने मेरी गाय चुरा ली!" दूसरा बोला, "यह झूठ बोल रहा है, गाय मेरी है!"

न्यायाधीश ने सोचा और कहा, "गाय को यहाँ लाओ।" फिर उसने गाय को खुला छोड़ दिया। गाय सीधी पहले आदमी के पास गई और उसके हाथ चाटने लगी।

न्यायाधीश मुस्कुराया और बोला, "गाय ने खुद बता दिया कि उसका असली मालिक कौन है।"

शिक्षा:

सत्य को छिपाया नहीं जा सकता। सत्य की हमेशा जीत होती है।

38. बोलता तोता और उसका रहस्य

एक व्यापारी के पास एक तोता था, जो बहुत होशियार था। वह बोल सकता था और लोगों की बातें सुनकर दोहरा सकता था।

एक दिन एक चोर व्यापारी के घर आया और चोरी करने लगा। लेकिन जैसे ही उसने संदूक खोला, तोता जोर से बोला, "चोर! चोर!" इससे चोर डरकर भाग गया।

व्यापारी ने तोते को धन्यवाद दिया और प्यार से कहा, "तुम सिर्फ एक पक्षी नहीं, मेरे घर के रक्षक हो!"

शिक्षा:

बुद्धिमानी और सतर्कता हर मुश्किल से बचा सकती है।


39. दयालु राजा और लालची मंत्री

एक राज्य में एक दयालु राजा था, लेकिन उसका मंत्री बहुत लालची था। एक दिन राजा ने फैसला किया कि वह मंत्री की परीक्षा लेगा।

राजा ने मंत्री से कहा, "जो चीज़ तुम्हें सबसे ज्यादा प्रिय हो, उसे ले लो।" मंत्री लालच में आ गया और पूरे खजाने पर हाथ रख दिया।

राजा मुस्कुराए और बोले, "तुम राजा बनने की लालसा रखते हो, लेकिन एक सच्चा राजा दयालु और न्यायप्रिय होता है, लालची नहीं!"

राजा ने मंत्री को सजा दी और एक ईमानदार व्यक्ति को मंत्री बना दिया।

शिक्षा:

लालच हमेशा बुरा परिणाम लाता है, लेकिन दया और ईमानदारी से सच्ची सफलता मिलती है।

40.किसान का जादुई कुआँ  

एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था। उसका नाम रामू था। रामू बहुत मेहनती था, लेकिन उसकी मेहनत का फल उसे कभी पूरा नहीं मिलता था। उसके खेत में पानी की कमी थी, और बारिश भी कम होती थी। इस वजह से उसकी फसल हमेशा मामूली ही होती थी। एक दिन, जब रामू खेत में काम कर रहा था, तो उसे एक पुराना कुआँ दिखाई दिया। कुएँ का मुँह पत्थरों से ढका हुआ था, और उस पर कुछ अजीब निशान बने हुए थे।  

रामू ने सोचा, "शायद इस कुएँ में पानी होगा। अगर मैं इसे साफ कर दूँ, तो मेरे खेत की पानी की समस्या हल हो सकती है।" उसने मेहनत करके कुएँ को साफ किया और पत्थरों को हटा दिया। जैसे ही उसने कुएँ के अंदर झाँका, उसे एक चमकती हुई रोशनी दिखाई दी। वह रोशनी एक छोटे से जादुई घड़े से आ रही थी, जो कुएँ के तल पर रखा हुआ था।  

रामू ने घड़े को बाहर निकाला और उसे खोलकर देखा। घड़े के अंदर एक छोटी सी चिट्ठी थी, जिस पर लिखा था, "यह घड़ा तुम्हारी मेहनत का प्रतीक है। जब भी तुम इसमें पानी डालोगे, यह तुम्हें तुम्हारी मेहनत का फल देगा।" रामू को यह बात समझ में नहीं आई, लेकिन उसने घड़े में पानी डालकर देखा। अगले ही पल, घड़े से सोने के सिक्के निकलने लगे!  

रामू हैरान रह गया। उसने सोचा, "यह तो जादू है! अब मैं अमीर हो जाऊँगा।" लेकिन फिर उसने चिट्ठी को फिर से पढ़ा और समझ गया कि यह घड़ा उसकी मेहनत का प्रतीक है। अगर वह मेहनत नहीं करेगा, तो घड़ा भी काम नहीं करेगा। उसने फैसला किया कि वह इस घड़े का उपयोग सिर्फ अपनी मेहनत को बढ़ाने के लिए करेगा।  

रामू ने घड़े से मिले सोने के सिक्कों से अपने खेत के लिए नहर बनवाई और बीज खरीदे। उसने और भी ज्यादा मेहनत की और अपने खेत को हरा-भरा बना दिया। धीरे-धीरे, उसकी फसल अच्छी होने लगी, और वह गाँव का सबसे अमीर किसान बन गया। लेकिन रामू ने कभी भी अपनी मेहनत करना नहीं छोड़ा। वह हमेशा याद रखता था कि उसकी कामयाबी का राज उसकी मेहनत और लगन है।  

एक दिन, गाँव के लोगों ने रामू से पूछा, "तुम इतने अमीर कैसे बन गए?" रामू ने मुस्कुराते हुए कहा, "मेरी कामयाबी का राज मेरी मेहनत है। मैंने एक जादुई घड़ा पाया था, लेकिन अगर मैं मेहनत नहीं करता, तो वह घड़ा भी कुछ नहीं कर सकता था।"  

गाँव के लोगों ने रामू की बात सुनी और समझ गए कि सच्ची कामयाबी मेहनत और लगन से ही मिलती है। उन्होंने भी मेहनत करना शुरू कर दिया, और धीरे-धीरे पूरा गाँव खुशहाल हो गया।  

सिख:

मेहनत और लगन ही सच्ची कामयाबी की चाबी है। चाहे हमारे पास कितने भी संसाधन क्यों न हों, अगर हम मेहनत नहीं करेंगे, तो हम कभी सफल नहीं हो सकते। मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है, और यह हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।  

रामू की तरह, हमें भी अपनी मेहनत पर विश्वास रखना चाहिए और कभी हार नहीं माननी चाहिए। क्योंकि, मेहनत ही वह जादुई कुआँ है, जो हमें सफलता का अमृत प्रदान करता है।

41. जादुई तूलिका

एक छोटे से गाँव में अर्जुन नाम का एक गरीब लड़का रहता था, जिसे चित्र बनाना बहुत पसंद था। लेकिन उसके पास सिर्फ एक टूटी-फूटी तूलिका थी। एक दिन, एक रहस्यमयी साधु ने उसे एक तूलिका दी और कहा, "यह तूलिका जादुई है। जो भी तुम इससे बनाओगे, वह असली बन जाएगा।"

अर्जुन ने खुशी-खुशी एक रोटी बनाई, और वह सचमुच असली हो गई! उसने गाँव के गरीबों के लिए भोजन, कपड़े और घर बनाए। लेकिन यह बात राजा तक पहुँची। लालची राजा ने अर्जुन को बुलवाया और कहा, "मुझे सोने का महल बना दो!"

अर्जुन ने एक महल बनाया, लेकिन जब राजा उसमें गया, तो उसने तूलिका से उसे मिटा दिया। राजा गायब हो गया, और गाँव के लोग खुशी से रहने लगे।

शिक्षा:
असली जादू ईमानदारी और भलाई में होता है। जो दूसरों की मदद करता है, वही सच्चा कलाकार होता है।

42. जीवन का स्वर्ण नियम

एक बार एक गुरुजी अपने शिष्यों को सिखा रहे थे। उन्होंने एक कागज पर एक छोटा सा काला बिंदु बनाया और पूछा, "तुम्हें क्या दिख रहा है?"

सभी शिष्यों ने कहा, "एक काला बिंदु!"

गुरुजी मुस्कुराए और बोले, "तुम सबने सिर्फ काले बिंदु को देखा, लेकिन सफेद कागज को नहीं देखा।"

"यही जीवन का स्वर्ण नियम है—हम अपनी परेशानियों पर ध्यान देते हैं, लेकिन हमारे पास जो अच्छा है, उसे भूल जाते हैं।"

इसके बाद शिष्यों ने जीवन को सकारात्मक दृष्टि से देखना शुरू किया।

शिक्षा:
हमेशा जीवन की अच्छाइयों पर ध्यान दो, न कि छोटी-छोटी परेशानियों पर।

43. नदी में बहते दो घड़े

एक नदी में दो घड़े बह रहे थे—एक मिट्टी का और दूसरा लोहे का। लोहे का घड़ा मिट्टी के घड़े से बोला, "मुझसे दूर रहो, नहीं तो तुम टूट जाओगे।"

मिट्टी का घड़ा मुस्कुराया और कहा, "मैं तुम्हें दूर नहीं करूंगा, लेकिन अगर टकराए तो मैं ही टूटूंगा।"

एक मोड़ पर लोहे का घड़ा एक चट्टान से टकराया और डूब गया, जबकि मिट्टी का घड़ा लहरों के साथ बहता रहा।

शिक्षा:
लचीलापन और नम्रता हमें जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती है, जबकि कठोरता विनाश का कारण बन सकती है।

44. विनम्र माली और घमंडी राजा

एक बार एक राजा अपने बगीचे में घूम रहा था। उसने देखा कि माली बहुत मेहनत से फूलों की देखभाल कर रहा है। राजा ने घमंड से कहा, "यह बगीचा मेरी संपत्ति है!"

माली मुस्कुराया और बोला, "महाराज, यह बगीचा न मेरा है, न आपका। यह प्रकृति की देन है। हम बस इसकी देखभाल करने वाले हैं।"

राजा को अपनी भूल का एहसास हुआ और उसने विनम्रता से जीवन जीने का संकल्प लिया।

शिक्षा:
संपत्ति और शक्ति स्थायी नहीं होती। सच्ची खुशी सेवा और विनम्रता में है।

45. छोटे लड़के का बड़ा सपना

रवि नाम का एक छोटा लड़का गाँव में रहता था। वह बहुत गरीब था, लेकिन उसका सपना था कि वह एक दिन शिक्षक बने और बच्चों को पढ़ाए।

गाँव के लोग उस पर हँसते थे, लेकिन रवि ने हार नहीं मानी। दिन में काम करता और रात में पढ़ता। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाई, और वह एक सफल शिक्षक बन गया।

आज वह अपने गाँव के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देता है।

शिक्षा:
बड़े सपने देखने वालों को दुनिया रोक नहीं सकती। मेहनत और आत्मविश्वास से सब कुछ संभव है।

46.लड़का और सेब का पेड़

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक बड़ा सेब का पेड़ था। वहाँ एक छोटा लड़का खेला करता था। वह उस पेड़ से बहुत प्यार करता था और रोज उसकी शाखाओं पर चढ़कर खेलता, उसकी छाया में सो जाता। समय बीतता गया, और लड़का बड़ा हो गया।

एक दिन वह पेड़ के पास आया, लेकिन अब वह खेलना नहीं चाहता था। पेड़ ने प्यार से पूछा, "तुम उदास क्यों हो?"

लड़के ने कहा, "मुझे पैसे चाहिए।"

पेड़ ने कहा, "मेरे फल तोड़ लो और बेच दो।" लड़के ने सभी सेब तोड़ लिए और चला गया।

कई साल बाद, लड़का फिर आया। अब वह बड़ा हो चुका था। पेड़ ने पूछा, "अब क्या चाहिए?"

लड़के ने कहा, "मुझे एक घर चाहिए।"

पेड़ ने अपनी सारी शाखाएँ दे दीं। लड़के ने लकड़ी से घर बना लिया और चला गया।

समय बीतता गया। एक दिन बूढ़ा हो चुका लड़का फिर आया। पेड़ ने कहा, "अब मैं तुम्हें कुछ नहीं दे सकता।"

लड़के ने कहा, "मुझे बस तुम्हारी छाया चाहिए।"

पेड़ मुस्कुराया और कहा, "मेरी जड़ें तुम्हारे आराम के लिए हमेशा यहाँ हैं।"

शिक्षा: 

माता-पिता बिना किसी स्वार्थ के अपने बच्चों की देखभाल करते हैं, ठीक उसी तरह जैसे यह पेड़ लड़के के लिए हमेशा कुछ न कुछ देता रहा। हमें उनकी कद्र करनी चाहिए।

47. पिंजरे में बंद चिड़िया

एक बार की बात है, एक आदमी को जंगल में एक सुंदर चिड़िया मिली। वह उसे अपने घर ले आया और सोने के पिंजरे में बंद कर दिया। वह रोज़ उसे दाना-पानी देता, लेकिन चिड़िया उदास थी।

चिड़िया ने आदमी से कहा, "मुझे आज़ाद कर दो, मैं तुम्हें एक रहस्य बताऊँगी।"

आदमी को लालच आ गया और उसने पिंजरा खोल दिया। चिड़िया उड़ गई और हँसकर बोली, "सच्ची खुशी स्वतंत्रता में होती है, लालच में नहीं!"

शिक्षा: सच्ची खुशी स्वतंत्रता में है, न कि किसी चीज़ पर अधिकार जमाने में।

48. बुद्धिमान मछुआरा

एक गाँव में एक गरीब मछुआरा रहता था। एक दिन उसने एक सुनहरी मछली पकड़ी। मछली ने कहा, "मुझे छोड़ दो, मैं तुम्हारी कोई भी इच्छा पूरी कर सकती हूँ।"

मछुआरा हँसा और बोला, "मुझे कुछ नहीं चाहिए, मैं अपने परिश्रम से खुश हूँ।"

मछली मुस्कुराई और बोली, "तुम्हारा संतोष ही तुम्हारा सबसे बड़ा धन है।"

शिक्षा: संतोष सबसे बड़ी दौलत है। लालच करने से खुशी नहीं मिलती।

49. अमीर लड़का और टूटा खिलौना

एक अमीर लड़के के पास बहुत सारे खिलौने थे, लेकिन जब उसका एक खिलौना टूट गया, तो वह रोने लगा। उसके दादा ने कहा, "खुशियाँ चीजों में नहीं, लोगों के साथ बिताए पलों में होती हैं।"

लड़के को समझ आ गया कि असली खुशी दौलत से नहीं, बल्कि प्यार और रिश्तों से आती है।

शिक्षा: असली खुशी धन से नहीं, बल्कि अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने से मिलती है।

50. हमारे भीतर के दो भेड़िये

एक बुजुर्ग ने अपने पोते से कहा, "हमारे अंदर दो भेड़ियों की लड़ाई होती है—एक बुराई का (गुस्सा, ईर्ष्या) और दूसरा अच्छाई का (दया, प्रेम)।"

पोते ने पूछा, "कौन जीतता है?"

बुजुर्ग ने कहा, "जिसे तुम ज़्यादा खिलाते हो।"

शिक्षा: हमारे विचार ही हमारा भविष्य बनाते हैं। हमें अच्छे विचारों को बढ़ावा देना चाहिए।

51. कड़ी मेहनत का महत्व

एक किसान रोज़ सुबह सूरज निकलने से पहले खेत में काम करता था। उसका बेटा आराम से सोता रहता था। एक दिन किसान बीमार पड़ गया।

जब बेटा खेत गया तो उसने देखा कि बिना मेहनत के कुछ नहीं उगता। उसे समझ आ गया कि "मेहनत ही सफलता की कुंजी है।"

शिक्षा: बिना मेहनत के कुछ भी संभव नहीं। सफलता के लिए परिश्रम जरूरी है।

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